〽️इब्ने सबा यहूदी की साज़िश से अहले मिस्र कूफा और बसरा वाले हज़रत उस्मान रदीअल्लाहु अन्हु के खिलाफ हो गए और बसरा वालों ने एक मर्तबा बे-बुनियाद शिकायात के ख़त लिखे जिनका जवाब हज़रत उस्मान ने दिया मगर उन्होंने जब दूसरी मर्तबा बे-बुनियाद शिकायतों के ख़त लिखे तो हज़रत उस्मान ने फिर कोई जवाब ना दिया उसके बाद फिर इब्ने सबा यहूदी के उक्साने पर एक हज़ार मिस्री और उसी क़द्र कूफी और पाँच सौ बसरा के लोग हज के नाम से मदीना मुनव्वरह की तरफ़ रवाना हुए और मदीना मुनव्वरह को घेर लिया।

जब हज़रत उस्मान ने देखा कि लोग मेरे क़त्ल के दरपे हैं तो आप हज़रत अली रदीअल्लाहु अन्हु के पास आए और ये कहा कि मेरी और तुम्हारी क़ुराबत है लोग तुम्हारी बात मान लेंगे उन लोगों को मना करो की मेरे ख़ून में हाँथ रंगी ना करें और जो कुछ उनका मतलब है बयान करें, मैं पूरा करूंगा।

हज़रत रदीअल्लाहु अन्हु उन लोगों के पास गए और सख़्ती से उनको रोका और दरियाफ़्त फ़रमाया की तुम्हारा मतलब क्या है? उन्होंने कहा की मिस्र से पहले हाकिम को माक़ूफ किया जाए और मोहम्मद बिन अबी बक्र को मिस्र का हाकिम बनाया जाए हज़रत उस्मान ने उनकी इस बात को तसलीम करके पहले हाकिम को मोक़ूफ कर दिया और मोहम्मद बिन अबी बक्र को हाकिम बना दिया अहले मिस्र उस वक़्त वापस चले गए।

[ #तारीख_उल_खुलफा सफ़ा-111; #सीरत_उल_सालेहीन सफ़ा-101 ]


#सबक़ ~
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ये बाग़ी बराए नाम तरफ़े दाराने हज़रत अली थे और दरअसल इब्ने सबा यहूदी की साज़िश का शिकार थे और खुद हज़रत रदीअल्लाहु अन्हु हज़रत उस्मान रदीअल्लाहु अन्हु ही के तरफदार थे। 

चुनाँचे आपने उन बाग़ियों को सख़्ती से रोका और एक दूसरी रिवायत में है कि आपने हज़रत उस्मान रदीअल्लाहु अन्हु से फ़रमाया कि ऐ अमीर-उल-मोमिनीन! आप मुझे इजाज़त दीजिए मैं आपकी तरफ़ से उन बाग़ियों के साथ जंग करूं मगर हज़रत उस्मान रदीअल्लाहु अन्हु ने फ़रमया कि ऐ अली! मैं नहीं चाहता की मेरी वजह से लोगों का ख़ून बहे। (#हयात_उल_जीवान सफ़ा-46 जिल्द-1)

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 196-197, हिकायत नंबर- 170

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